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रविवार, 27 मार्च 2011

जान बचाना बन गया जीवन का मकसद

जरा हटके जान बचाना बन गया जीवन का मकसद हां चाह होती है वहां राह अवश्य मिलती है। बुलंद हौसलों के आगे सारे अभाव बौनेसाबित हो जाते हैं । पंचायत समिति लूणकरनसर के ग्राम खारबारा के निकट चक १एसएलडी निवासी ३७ वर्षीय भंवरलाल सुथार इसका प्रबल प्रमाण है। महज पांचवी तक पढ़े-लिखे भंवर लाल ने खेती बाडी व लकड़ी का काम करते-करते बोरवेलों में गिरे लोगों की जान बचाने वाला एक अनूठा यंत्र खोज निकाला है। समाचार पत्रों में प्रिंस आदि बच्चों के गिरने की खबरों से अन्य लोगों की तरह भंवरलाल सुथार भी चिंतित था इसी बीच छत्तरगढ़ तहसील के लाखनसर गांव में 5नवम्बर 2008 को एक ४ वर्षीय बालक प्रकाश मेघवाल ६५ फीट गहरे कच्चे बोरवेल मेंगिर गया। दुर्घटना की सूचना मिलने पर पुलिस प्रशासन के अधिकारी व समीपवर्ती क्षेत्र के लोग मौके पर पहुंच गए। प्रशासन के साथ आये बचाव कर्मियों ने रस्सीके आगे कपड़ा बांधकर उसमें बच्चे को बैठाकर बाहर निकालने का प्रयास किया मगर असफल रहे। घटना की सूचना मिलने पर भंवर लाल भी मौके पर जा पहुंचा। जहां बच्चेके माता-पिता का विलाप व लोगों के चेहरो पर पसरी उदासी के बीच उसने एक युक्ति सोची। मन में उपजी युक्ति को उसने उपनी अंगुलियों से धोरे पर पसरी रेत पर खींचकर खुद को आश्वस्त किया और प्रशासन की अनुमति से समीपवर्ती मंडी ४६५ आरडी जाकर आधे घण्टे में अपना उपकरण बनाकर फिर घटनास्थल पर पहुंच गया। सुथार के यंत्र से१५ मिनट में बच्चा जिंदा बाहर निकल गया तो लोगों को राहत मिली और भंवरलाल को भीअपने जीवन की एक नई दिशा मिल गई। तत्कालीन जिला कलेक्टर श्रेया गुहा ने गणतंत्र दिवस समारोह पर भंवर लाल को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया तो भंवर लाल ने भी कच्चे पक्के कुएं व बोरवेलों में व्यक्तियों के गिरने से होने वाली अनहोनी केखिलाफ जंग को अपने जीवन का मकसद बना लिया। भंवरलाल का मानना है कि हमारेक्षेत्र की मिट्टी कठोर नहीं है जिससे मशीन की खुदाई से बोरवेल में गिरे व्यक्ति को खतरा हो सकता है। भंवर लाल का उपकरण जीवन यंत्र लोहे की पत्ती सेबना हुआ है जिसमें लगी एक रस्सी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के पैरों का कस लेती है वहीं दूसरा मोटा रस्सा उसे बोरवेल से बाहर खींचने के काम आता है। वर्ष २०१०में ११ मार्च को वैशाली नगर, जयपुर में उषा जैन (५२ वर्षीय) १४ इंच के बोरवेलमें गिर गई थी। आपदा प्रबन्धन महकमें के अधिकारियों ने भंवरलाल को मौके परबुलाया तो उसने ३ घण्टे की कड़ी मेहनत के बाद उसके शव को बाहर निकाल दिया।जयपुर जिले के गांव जगतपुरा में एक बच्चा १७० फीट गहरे बोरवेल में उल्टा गिरगया था मगर प्रशासनिक अधिकारियों ने भंवरलाल सुथार को वहां बुलाकर भी अपनेयंत्र के प्रयोग की अनुमति नहीं दी। इसी प्रकार टोंक के जहाजपुरा गांव में २२फीट गहरे बोरवेल में गिरे बच्चे की सूचना मिली मगर प्रशासन भंवरलाल को उनकेमशीन सहित वहां पहुंचाने के लिए गाड़ी उपलब्ध नहीं करवा पाया। इन दिनों भंवरलाल ने एक अन्य यंत्र तैयार किया है जो बोरवेल में बीच में फंसे हुए व्यक्ति को निकालने में कारगर है। पौने इंच के पाइप व एक रस्सी की सहायता से बना यह यंत्रबीच में फंसे व्यक्ति के पास जाकर एल का आकर ग्रहण कर लेता है जिसकी सहायता से७०-८० किलो तक वजन के व्यक्ति को बाहर निकाला जा सकता है।धुन के धनी भंवरलाल ने भले ही कुएं और बोरवेलों से होने वाली अनहोनी से लोगोंको बचाने का मिशन बना रखा हो मगर प्रशासन ने कभी उसकी मदद की पहल नहीं की है।उसके यंत्र को सुधारने के लिए उसे कभी कोई सहयोग उपलब्ध नहीं करवाया गया है ।कई बार दुर्घटना की सूचना के बावजूद प्रशासन उसको घटनास्थल तक लाने ले जाने केलिए वाहन उपलब्ध नहीं करवा पाता है। -मदन गोपाल लढ़ा

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